रब्ब मरने से पहले एक बार तो ज़रूर पूरी करदे…

है हौंसला इतना अब बाकी नहीं
की ये जो भी है उसे मुहब्बत हम कहें

सुना है हमने फ़सानों में
मुहब्बत तो दम लेकर रहे

अपनी मर्ज़ी से कोई भला
ये दर्द की राह क्यों चुने

लगा है दिल तो हमारा भी कहीं
पर गलती से भी न उसे कोई मुहब्बत कहे

मरने से पहले एक बार तो ज़रूर करदे, चाहे प्रेम चाहे इबादत चाहे जो तू करदे, रब्ब मरने से पहले एक बार तो ज़रूर पूरी करदे
मरने से पहले एक बार तो ज़रूर करदे, चाहे प्रेम चाहे इबादत चाहे जो तू करदे

मुहब्बत तो मुहब्बत ही है
इस दिल्लगी को कोई मोहब्बत क्यों कहे

सोचती हूँ आजकल मैं की ये तेरा मेरा जो फ़साना है
ये मुहब्बत है या फिर बस जीने का बहाना है

तो यूँ हुआ की बात हुई
इक दिन जब दो मुसाफिर थे मिले

मिलकर बिछड़े बिछड़े फिर मिले
चले फिर लंबे यूँ ही सिलसिले

है या नहीं मुहब्बत ये
अब तक हम तय कर न सके

बातें तो बहुत हो जाती है उनसे
पर मतलब उनमें ढूँढे से न मिले

इन बातों में सलाम नमस्ते भी
अक्सर घंटे दो घंटे तक चले

अलविदा भी फिर कहता है
हम भी भला क्यों पीछे रहें

बस फिर करते करते अलविदा
बातों में ही हर रात कटे

शुरुआत में तो हर बात उनकी
दौड़कर जा गले से लगे

पर धीरे धीरे बाद में
हर बात का हम मोल भाव करने लगे

कुछ बातें दिल की राह करते
कुछ बातों पर लड़ते झगड़ते

होता यूँ की कभी कभी तो बात पहुँच जाती थी ठिकाने पे
कभी कभी मुड़ जाती थी कही किसी बहाने से

ज़्यादातर बातें आजकल राह भटक जाती हैं
बातें तो बहुत होती हैं पर उनके आने पर, न जाने किस सफर निकल जाती हैं

पंजाबी भी कुछ सीखी है , उर्दू भी हैं कुछ सीख रहे
अब बातों में वो बात नहीं, इसलिए नई बोली से सोचा थोड़ी मदद ले लें

आज फिर चलते चलते , कुछ लिखने का ख्याल आया
लिखने लगे कुछ उर्दू में पंजाबी में सवाल आया
” आ इश्क़ ही है या बिना गल तो किसी नाल वफ़ा दा चढ़ेया तैनूं बुखार है .. “

सवाल जिसकी दी गयी मिसाल है
सवाल ये ला-जवाब है

कहते भी हैं कि, मिल गए जवाब जिस मुहब्बत में
वो मुहब्बत बेबुनियाद , वो प्रेम नहीं छलवाद है

पूरी हो जाए जो वो मुहब्बत कहाँ
अधूरी हो वो ही मुहब्बत, वही लगन, वही प्यार है

अब ये सुनकर कोई भला करे भी तो क्या करे
रब्ब से फरियाद कोई करे भी तो क्या करे

की रब्ब तू मुहब्बत पूरी करदे
या फिर की तू प्रीति अधूरी करदे

चाहे प्रेम चाहे इबादत चाहे जो तू करदे
रब्ब मरने से पहले एक बार तो ज़रूर करदे

चाहे प्रेम चाहे इबादत चाहे जो तू करदे
रब्ब मरने से पहले एक बार तो ज़रूर पूरी करदे

~ इशिका अग्गरवाल


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Categories: Life

11 Comments

Pankit · 10/23/2020 at 14:42

Well written

    Ishika · 10/23/2020 at 15:06

    Thank you sir!

Narinder Singh · 10/23/2020 at 16:42

शानदार रचना!

    Ishika · 11/03/2020 at 11:09

    Thank you Sir!

Himanshu Angira · 10/23/2020 at 17:36

बहुत ख़ूब !

    Ishika · 11/03/2020 at 11:09

    Shukriya

Maheshwari · 10/24/2020 at 13:39

Ye rachana padh kar apake agle rachana ki talab si lagi hai mam 😊

    Ishika · 11/03/2020 at 11:10

    Shukriya

Abhishek Kumar · 10/25/2020 at 12:36

बेहद बेशुमार रचना

    Ishika · 11/03/2020 at 11:10

    Bahut Shukriya

Saurabh Sen · 11/30/2020 at 00:53

Awesome 👍👍😊

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